लोक व्यवहार नेग रिवाज़
लोक व्यवहार नेग रिवाज़
लोक व्यवहार नेग रिवाज़
इन्हीं से तो चलता है समाज।
मीठा बोलो दिल लो जीत
कोई न दुश्मन,सब ही मीत।
सद्गुण जिसे बख्शे परमात्मा
साधारण से बने महात्मा।
कड़वी वाणी नहीं बोलना
पैसे से प्यार नहीं तोलना।
लोक व्यवहार नेग रिवाज़
गर अपनाओ, महके समाज।
