लिख नहीं पा रहा हूँ
लिख नहीं पा रहा हूँ


आज क्या लिखूंँ ?
प्यार, संगीत, क़िताब, खुशी
दुख या निराशा..
या लिख दूँ जीवन की नयी कोई आशा...??
मन में है झील सा ठहराव...
ये जड़ता है या संतुष्टि नहीं है पता...
तो क्या इसे कह दूँ संवेदनहीनता??
शायद सभी भावों का मिश्रण हुआ है एक ख़ास अनुपात में..
जैसे प्राण वायु बनती है कायनात में...
उस श्वास का नहीं होता है एहसास.
ठीक वैसे ही अभी हूँ मैं शांत..
ना दुख का अनुभव, ना खुशी है कोई..
ना है किसी से अपेक्षा....
ना माजी से शिकायत, ना जीवन का है पता...
ये माहौल का है असर, या है कोई आध्यात्मिकता..
मैं भावहीन हो रही हूँ,
या सभी भावों से युक्त,
जिसमे नहीं है किसी भाव के लिए खाली जगह..
लाऊँ कहाँ से अल्फ़ाज़, क्या लिखूं नहीं है पता ?