लौट कर फिर बहार आएगी
लौट कर फिर बहार आएगी
बीत जायेगा यह समय यारों
लौट कर फिर बहार आयेगी ।
फिर से झूले पड़ेंगे बागों में
फिर कली खिले मुस्कुरायेगी ।।
फिर वही दिल और दिल्लगी होगी,
फिर वही दिल से दिल लगी होगी ।
अश्रु आँखों में फिर न आयेंगे
हँसी अधरों पे खिलखिलायेगी ।
लौट कर फिर बहार आयेगी ।।
फिर न सूनी रहेंगी ये गलियाँ
फिर न साँसें खरीदनी होंगी ।
फिर अँधेरे मिटेंगे राहों के
हर तरफ़ सिर्फ़ रौशनी होगी ।
फिर वो सपनों का दौर लौटेगा,
फिर वो अपनों का दौर लौटेगा ।
फिर से महफ़िल जमेगी यारों की
धूप रिश्तों की गुनगुनायेगी ।
लौट कर फिर बहार आयेगी ।।
आशियाना न छोड़ घबरा कर
ये न सोचो कि कहीं दूर चलें,
आज रोज़ी गयी अगर तो क्या
फिर मिलेगी न हो मजबूर चलें ।
हो जहाँ पर वही बसेरा है,
जब खुले नींद तब सबेरा है ।
झूम कर फिर घटाएँ बरसेंगी
राह बिजली हमें दिखायेंगी ।
लौट कर फिर बहार आयेगी ।।
फिर ठहाके औ कहकहे होंगे
फिर वो जलवे वो वलवले होंगे,
पाँव थिरकेंगे गीत की धुन पर
प्यार के फिर वो सिलसिले होंगे ।
ये तो बस मोड़ ज़िंदगी का है,
ये समय रब की बन्दगी का है ।
झाँक जायेगी हँसी आँखों में
फिर खुशी द्वार खटखटायेगी ।
लौट कर फिर बहार आयेगी ।।
आज मिलने से डर रहे हो मगर
कल उसे फिर गले लगा लेना,
बात करते रहो सभी से अभी
वक़्त बदलेगा तब बुला लेना ।
चार दिन की ये परेशानी है,
अपनी हिम्मत वही पुरानी है ।
ये मुसीबत भी टलेगी इक दिन
जीस्त फिर राह नयी पायेगी ।
लौट कर फिर बहार आयेगी ।।