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लाल बत्ती

लाल बत्ती

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ट्रैफिक सिग्नल की लाल बत्ती पर,

आकर थम जाती है चंद सेकेंड के

लिए मेरी गाड़ी,

और तेज़ रफ्तार से भागती हैं

मेरे विचारों की रेलगाड़ी ,


चारों तरफ बिखरे शोरगुल से परे ,

मेरे अंदर चल रहा है विचारों का

घमासान ,

कौन से शब्द कहाँ बैठेंगे,

किस विचार की कड़ी को

कहाँ से पकड़ रखूं ,

आज कुछ नया लिखना है ,

जो सच को उगले ,

मेरे जज्बात पन्नों पर उतरने को

होते हैं बेताब ,


नवंबर में आपने जोश ऐसा डाला है ,

हरदम हम ढूँढ रहे हैं एक नई कहानी

और कविता ,

सुबह से लेकर रात तक बस विचार ही

विचार दिमाग को मथ रहे हैं,

बस लिखते रहने का सपना पूरा हो गया है,

कुछ मिले या ना मिले इसकी कब है परवाह ,

बस मन को अच्छा लग रहा है,

खुशी मिल रही है लिखते ही जाना है ,

ज्ञान की हर शाख बढ़ रही है चहुं ओर ,

लाइट हरी हुई मैं चली मंज़िल की ओर ।।



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