लाकडाऊन जिंदगी करता अस्त व्यस्त
लाकडाऊन जिंदगी करता अस्त व्यस्त
कोरोना ऐसा आया,
सबको खूब नचाया,
सरकारों को भी झुकाया,
लोगों का बाहर निकलना बंद करवाया,
यहां तक की लाकडाऊन तक लगवाया,
लेकिन फिर भी कहां उसको चैन आया,
उस बेशर्म ने खूब छकाया,
अच्छे अच्छों को अस्पताल पहुंचाया,
कई बेचारों को सदा के लिए नींद सुलाया,
ऐसा माहोल बनाया,
अंतिम संस्कार भी ठीक ढ़ंग से हो न पाया।
सब लगें हैं इससे छुटकारा पाने,
परंतु कोई भी नहीं इस गुत्थी को सुलझा पाया,
देखो कब भगवान सुनता सबकी,
कब वैक्सिन बन जाती इसकी,
और मानवता को मिलती छुट्टी।
