मैं एक कवि हूँ ;मेरा काम है ---
मैं एक कवि हूँ ;मेरा काम है ---
मैं कवि हूँ ,मेरा काम है लिख कर कहना !
दर्द अपना हो या दूसरे का सबको बयां करना ।
अगर यदि मुझसे जो कुछ छूट जाये उसे पल- पल याद दिलाते रहना ।
मेरी कलम में गर भावनाओं ,तकलीफों का स्याही खत्म हो जाये तो तुम समय के साथ उसमें नये रंग भरते रहना।
मैं कवि हूँ ,मेरा काम है लिखकर कहना ।
जो कुछ छूट जाये तो उसे उसी समय याद दिलाते रहना ।
गर कलम मेरी खामोश होने लगे सत्ता के गलियारे की गफलत में तो मेरी कानों में हुंकार भरते रहना
मेरी जिम्मदारी है खेती करने की भले ही तुम अन्न बोते हो ,मेरा काम है क्रांति की बीज बोना ।
मैं कवि हूँ ,मेरा काम है सच को सच और झूठ को झूठ कहना ।
बेआवाज़ों की आवाज़ ,बेजुबानों की जुबान ,बेसहारों को सहारा और बेगुनाहों के साथ गुनाह होने से बचाना !
मेरा काम है निष्पक्षता की भूमि से पक्षपात के काँटे को हटाना ।
मेरा काम है हकदार को उसके हक की खबर बहरे कानों और सदन के पटल पर रखना ।
मैं कवि हूँ , ये मेरा काम है ।
मेरा काम है खत के इंतजार में प्रेम की दीवानी विरहनी के लिए उसके प्रेमी का खत लेकर संदेशवाहक बनना ।
मैं कवि हूँ ,मेरा काम है एक वीरांगना स्त्री को उसके बहादुर सैनिक की संदेशा पहुँचाना
मेरा काम है उस वीर पुत्र जो सीमा पे डटे हुए हैं उनकी चरणस्पर्श को उनकी माँ तक लाना और माँ के ममत्व भरे आशीर्वाद को उन तक पहुँचाना ।
मैं कवि हूँ, मेरा काम है एक प्यारी बहन की उसके भौजी भाई का कलाई बन जाना और उस रक्षा-सूत्र को देश के रखवाले तक सही - सलामत पहुँचाना ।।
मैं कवि हूँ ,ये मेरा काम है ।
