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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

Tragedy

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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

Tragedy

क्यों ?-( 35 )

क्यों ?-( 35 )

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सबूत भी है 

गवाह भी है 

फिर भी हम 

लाचार क्यों हैं ? 

अदालत में सारी बातें साफ है 

लूटी है अस्मत निर्भया की 

फिर भी फांसी से दूर क्यों है ? 


कैसी विडंबना है ? 

कैसा यह देश है? 

सजा मुकर्रर है

फिर फांसी में देरी क्यों है ? 


उनके कर्मों के काम पर  

मोहर लगाई है मौत की  

कागज पर लिखी फांसी की सजा  

नीब कलम की तोड़ी है कोर्ट ने 

फिर भी वह फांसी से दूर कैसे हैं ? 


वकील को प्यार है नोटों से 

नेताओं को लगाव है वोटों से  

लगता है संविधान में 

सुधार की जरूरत है 

ऐसे दरिंदों को फांसी देना ही जरूरत है 

हम सब शर्मिंदा हैं निर्भया तेरे कातिल जिंदा है 


गवाह भी हैं 

सबूत दे दिए 

कानून ने सजा मुकर्रर की 

फिर भी फंदे से दूर क्यों है ? 

यूं ही बचाते रहेंगे बलात्कारियों को 

हौसले बुलंद रहेंगे बलात्कारियों के  

फिर रोज होंगे यूं ही बलात्कार  

हम तुम सब देखते रहेंगे यूं ही 

और ........... 


मां बहन बेटी की यूं ही 

लुटती रहेंगी अस्मतें है 

कहे "चेतन वैष्णव" बदलाव जरूरी है 

ऐसा कानून पारित किया जाए 

ऐसे दरिंदों को तुरंत चौराहे पर लटकाया जाए 

आज नहीं तो फिर कभी नहीं 

होते रहेंगे ऐसे ही बलात्कार 

हम तुम सब यूं ही देखते रहेंगे 

बलात्कारी यूं ही बचते रहेंगे ! 


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