क्यों ! मन बावरा हुआ जाता है !
क्यों ! मन बावरा हुआ जाता है !
सनम तुझे पाने को
ये मन बावरा हुआ जाता है,
जब जब कोयल कूके,
बरखा की आस,
मन में अगन लगाए!
ये सर्द पूस की रातें,
तुझको पास बुलाएं,
तेरे एक दरस को,
अंखियाँ तरसी जाएं,
सनम तुझे पाने को,
मन बावरा हुआ जाता है!
जब जब तुझको देखूं,
पायल मैं छन काऊं,
चूडी मैं खन कांऊँ,
तेरी प्यारी बातों को,
सनम तुझे पाने को,
मन बावरा हुआ जाता है !