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Anita Bhatnagar

Inspirational

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Anita Bhatnagar

Inspirational

नकाबपोश रिश्ते

नकाबपोश रिश्ते

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पैसों के तराजू में अब तुल रहे हैं रिश्ते,

छल कपट के नकाब में पल रहे हैं रिश्ते,

छीन लेते हैं अपने ही हमारी मुस्कान,

दिल के बंद पन्ने अब खोल रहे हैं रिश्ते।


चेहरों पे अब नकाब लगाने का चलन है,

नाप तौल से रिश्ते निभाने का चलन है,

चार दिन की जिंदगी भूल गए हैं सब,

गले लगा कर गला काटने का चलन है।


दिलजलों की महफिल में एहतराम कैसा,

गुम हो रहे रिश्ते, है ये फरमान कैसा,

चांद की चांदनी से चमकते रिश्ते,

स्वार्थ के अंधकार में फिर छिपना कैसा।


क्यूं शह और मात का हैं खेल खेलें,

रिश्तों का नहीं मान उम्मीदें तोलें,

रिश्तों की कशमकश खत्म हो कैसे,

ख्वाहिशों का थैला लिए सुकून खोजें।


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