क्या पता...
क्या पता...
कुछ गुफ्तगू कर भी लो,
क्या पता नई बात ही बन जाये।
जरा आंख में आंख डाल भी दो,
क्या पता कुछ नया नजरिया ही मिल जाये।
मिले हुए इन लम्हों से ,
क्या पता अच्छा वक्त ही मिल जाये।
जुड़े हुए इन दिलों से ,
क्या पता प्यार की नई कहानी मिल जाये।
चाहत की चाह भी रख लो 'केलाल',
क्या पता ये दास्तान गाथा ही बन जाये।

