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Sheetal Raghav

Abstract Classics

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Sheetal Raghav

Abstract Classics

क्या कुछ और रह गया बाकी है ?

क्या कुछ और रह गया बाकी है ?

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चुरा लिया है, दिल को तुमने,

कुछ और चुराना क्या और रह गया बाकी है ?

हां चुरा लिया है, मैंने दिल को तेरे,

बस तेरा नाम चुराना बाकी है


अब तो चुरा लिया है,

नाम भी तुमने, क्या कुछ और रह गया बाकी है ?

हां, चुरा लिया तेरा नाम भी,

अब बस तेरा दूसरा नाम चुराना रह गया बाकी है,


वह कब तक चुराने का वादा है ?

कहो ना क्या इरादा है ?

कहो उसके बाद अब क्या रह गया बाकी है ?


वह भी चुरा ही लेंगे। एक दिन हम,

इरादा हमसफर तेरा है बनना,

बस अब यही रह गया बाकी है,


अब तो चुरा लिया है दिल और नाम भी तूने,

चुरा कर मेरा दूसरा नाम मुझे बना ही लिया तूने,

अपना, और अब क्या रह गया बाकी ?


सपने तेरे, बस आखरी तमन्ना, उनपर करना

अपना हक बस, अब यही तमन्ना बाकी है


वह तो कब के हो गए तेरे, हम भी और सपने भी,

क्या इसके बाद कुछ और सुनना भी बाकी है ?


अब तो हम भी हो गए हैं तेरे, पूरे दिल से,

दिल में अब कोई तमन्ना कोई ख्वाहिश ना अब बाकी है।।।



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