क्या हुआ अगर बंद से गए
क्या हुआ अगर बंद से गए
क्या हुआ अगर बंध से गए हम तो
क्या यही ज़िन्दगी कुछ थम सी गई तो,
क्या ये भी है ज़िन्दगी कुछ पुरानी होकर भी
नया कुछ करने का इशारा कर रही है
अब वो लूडो की गिट्टियों में नए रंग नज़र आने लगे हैं,
अब अंताक्षरी में वो पुराने नए गानों का ताना बाना कस लेते हैं
उसमें तो लगता मां ही जीत जाती है
अब वो ताश के पत्तों में रानी,पर हुकुम का इक्का बड़ा नहीं होता,
जानबूझकर पान खिला कर रानी को घर की रानी सा जताया जाता है।
प्यार से पान खिलाया जाता है।
अब धूल से निकाल कर कैरम बोर्ड घर के बीच महफ़िल सजाता है
वो पुरानी यादों की पोटली खुल कर सबके होंठों पर मुस्कान दे जाती है
वो दादी नानी की कहानियां अब हमे बहुत सुनने में आती है
अब एक वीडियो कॉल के परिवार जनों को बहुत हंसी आती है
हमारे ही बचपन के किस्से हम जब अपने बच्चो को सुनते हैं
तो हसीं वो ठहाके क्या कमाल कर जाते हैं।
हमारे वक़्त को तो अब खूब वक़्त मिला है,
अब ये नहीं कहते लेट हो जाएंगे या जाम में फंसे खड़े हैं
अब चांद को टकटकी बांध कर देखने का वक़्त मिला
तारों को गन्ने का पूरा मौका मिल गया है,
दिल लुभाती रोचक कहानियों की किताब बक्से से हाथों में आ गई है,
सूरज की किरणे प्यार का एहसास जताती वो डूबते देख
वो चेहरे पे चमक और नई सुबह की और इशारा दे जाती है
वो शाम की चाय के साथ पकोड़े की महफ़िल खूब सजती है,
वो प्यार भरे लम्हे अधूरी बातों को पूरी करने का मौका दे रहे हैं
बचपन अब वापिस लौट आया है
पुराने पन्नों को खोलने का दिल चाहने लगा है,
कट्टी अब्बा,वो बाल्टी में कश्ती उतार कर
फिर फूंक मार कर आगे पहुंचने का दिल चाहता है
प्यार भरे लम्हे फिर से जीना चाहता है,
बंध गए तो क्या हुआ,एहसास तो जी लगा रहे हैं
बांध गए तो क्या हुआ,एहसास तो जी लगा रहे हैं।
