क्या हासिल कर लोगे?
क्या हासिल कर लोगे?
मुझे पसंद है
जगह-जगह घूमना
नई-नई जगह तलाशना
हर हिस्से, हर कोने को ,
अपनी नजरों से निहारना ।
हर उस मोड़ को ,
जिसे कभी किसी ने
नोटिस नहीं किया
रोजमर्रा की जिंदगी में
कहीं गुम सा हो जाता है ।
उन लोगों को देखना,
जिन्हें कभी इज्जत की
निगाहों से देखा नहीं गया
जो भीड़ में हीं कहीं
आते है और चले जाते हैं।
मुझे इन सब को
पसंद है कैमरे में
कैद करने का,
हर एक क्षण को ,
हर एक व्यक्ति को,
हर उस वस्तु को ,
जो नकारा जाता
आ रहा है हमेशा से।
कई तो मुझे "ठरकी बूढ़ा"
कह देते हैं दूर से
पर जब उनके पास जाता हूँ
मैं उनको समझता हूँ
वो मुझे समझते हैं
तो फिर गलतफहमियाँ
दूर हो जाती हैं।
55 साल की इस उम्र में
मेरे साथी मेरी पसंद को
"बुढ़ापे की सनक" कहते हैं,
कहते है जिंदगी में इस उम्र में
ये सब करके क्या हासिल कर लोगे?
और मैं उन्हें कुछ नहीं कहता
क्योंकि शायद वो समझेंगे भी नहीं
वो चाहते हैं कि मैं भी उनके साथ
देश के समाचार पर चर्चा करुँ,
सिस्टम को कोसूँ, बुरा कहूँ।
मगर मुझे जो पसंद है
मैं अब वही करूँगा
सारी जिंदगी दूसरों के
लिए निकाल दी
अब अपने लिए
समय निकालूँगा।
वैसे मेरी पोतियाँ
मुझे बहुत हौसला देती हैं
कि दादू आपका जो मन
करें वो करो आप,
दूसरों की बातों पर
ध्यान मत दिया करो
लोगों का तो काम है बोलना।
फिर मैं उन सब के साथ
तस्वीर खींचता हूँ
उस लम्हें को
रोक देता हूँ
तस्वीरों में।
उनके साथ फिर से
बचपना जीने को मन करता है ,
वो कहते है न कि बच्चे और बूढ़े
दोनों एक जैसे होते है।
मेरी पोतियों के कारण ही
मुझे हिम्मत मिलती है,
मेरी ढाल मेरी पत्नी वो भी
मेरा बखूबी साथ देती है।
कुल मिलाकर सब ठीक है
वो कहते है न
"लव यू जिंदगी"और
"जिंदगी न मिलेगी दोबारा "
बस फिर अपने जिंदगी के
हर एक लम्हें को जियो,
खुश रहो, खुशियाँ बांटो।
