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Veena rani Sayal

Abstract

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Veena rani Sayal

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कविता

कविता

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यह सच है, सब कहते हैं

गुजरा हुआ कल, बहती धारा

कभी आये न पलट के, वो बचपन दोबारा

लाख कोशिश करे, जमीं से फलक तक 

 न समझेगा दीवाना यह दिल बेचारा


मंसूबे बहुत हैं, साधन हैं थोड़े 

चाहतों के ये दायरे, हर पल दिल को घेरें

सुबह का सूरज उम्मीद जगाये

सांझ की बेला, मन को बहलाये

सपनों के आंचल तले, रात गुजर जाये


न जाने कहां तक, चले सिलसिला ये

कलम और कागज  साथ निभाये

फुर्सत के यह पल यादों के साये

न जाने किस मोड़ पर, कहीं गुम हो जायें

मन तू समझ ले, समय की यह धारा

कल तो कल है, लौट कर न आये



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