कविता
कविता
बची हुई जिंदगी का
पल-पल मजा लेते हैं।
कभी स्वयं हंसते हैं
औरों को हंसाते हैं।
पता नहीं कब यात्रा रुक जावें
इसीलिए भरपूर जी लेते है।
बची हुई जिंदगी का
पल-पल मजा लेते हैं।
कभी स्वयं हंसते हैं
औरों को हंसाते हैं।
पता नहीं कब यात्रा रुक जावें
इसीलिए भरपूर जी लेते है।