कविता_मुझे तो बचा लो
कविता_मुझे तो बचा लो
मुझे तो बचा लो
इस 'बहार ए चमन' की कली हूँ,
लाड प्यार से पली हूँ,
उठा के सीने से लगा लो।
मुझे तो बचा लो।।
तेरी नियत में खोट क्यों आया,
देख मुझे तेरा जी ललचाया,
अपनी बुरी नजर हटालो।
मुझे तो बचा लो।।
अपने ही घर में, बन के रहू परायी,
छोङ चली बाबुल का घर,सज-घज के बारात आयी,
मेरी चहल पहल से, घर आँगन सजा लो।
मुझे तो बचा लो।।
सारे हक तो छीन लिये हैं,
दर्द मुझे गमगीन दिये हैं,
चाहे कितना ही सता लो।
मुझे तो बचा लो।।