कविता का सृजन
कविता का सृजन
जब लिखनी हो कविता
तो बहुत कुछ पड़ता है सोचना।
कलम चलाते हुए कल्पना की
बहुत कुछ पहले है सोचना।
हर पीड़ा को ही
महसूस है करना।
हर दर्द को भी
करना पड़ता है सहना।
दिमाग ए आशियां में
घूमती रहती है भावना।
इतना आसान नहीं है
कविता को बनाना।
कभी प्रेम, कभी विरह
की बनती है संभावना।
महसूस करके करना पड़ता
है लफ्जों को पिरोना।
सुख-दुख, प्रेम-घृणा है
कविता का गहना।
इसी तरीके से
अपनों को याद करना।
ये है अविरल बहती
भावनाओं का झरना।