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AVINASH KUMAR

Classics

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AVINASH KUMAR

Classics

कविता है तो कवि है कवि है तो क

कविता है तो कवि है कवि है तो क

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कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता

जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता।


मधुरिम मधुरिम बहती फिरे देखो बसंत बयार

होती है हर आत्मा की चाहत उसको मिले प्यार।


जीवन बने रुहानी, सच में ऐसा दिवस अगर आ जाए

सच मानो इस धरा पर स्वर्ग यही उतर आए।


पंक्षी उडे़ मुक्त गगन में अपने अपने पंख पसार,

नदियाँ भी बहती रहे धरा हो उपजाऊ अपार।


भूख गरीबी मिट जाए हर जगह छाए खुशहाली

रूह को सुकून मिल जाए छा जाए हरियाली।


कुमार की तमन्ना यही बस धरा बने खूबसूरत

हर हृदय में बसे बस परमात्मा की मूरत।


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