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कुंंदन

कुंंदन

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दिल में दर्द छुपाये

चेहरे पे मुस्कान लिये।

मैं चला अपनी राह

मंज़िल पाने के लिए।


रास्ता है लंबा

कठिन है डगर

मगर मैं निरंतर

चलता रहूँगा ।


चलूँगा साथ लेकर

इंसानियत को

हैसियत को अपने

ऊँचा करुँगा।


गरीबी में पला हूँ

ना गरीब रहूँगा

तकलीफों से लड़कर

मैं कुंदन बनूँगा।


पढूंगा लिखूँगा बड़ा

अफ़सर बनूँगा।

समाज का देश का

नाम रौशन करुँगा।


यहाँ न चलती 

बुद्धी कि ये कला

गंदी व्यवस्था का

करुँगा मुँह काला।


अमीरों के चलते

गरीब को कुचलते

धन को उड़ाते

गरीब को ठुकराते।


उन मगरूर अमीरों को

उनकी जगह दिखाऊँगा।

अपने कार्य से 

मिसाल बनूँगा ।


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