कुछ शेर
कुछ शेर
जाने क्या क्या लिख जाता हूँ,
जब जिक्र तुम्हारा आता है,
मैं फूलों-सा खिल जाता हूँ,
जब जिक्र तुम्हारा आता है।
वैसे तो भरी महफ़िल में,
यूँ ही तन्हा-तन्हा रहता हूँ,
फिर पास तुम्हें ही पाता हूँ,
जब जिक्र तुम्हारा आता है।
खुद को कैद किये बैठा हूँ,
मैं यादों के पिंजरे में,
फिर पंक्षी बन उड़ जाता हूँ,
जब जिक्र तुम्हारा आता है।
आँख से आँसू आते हैं,
और में कुछ कह भी नहीं पाता,
फिर तुमको लिखता जाता हूँ,
जब जिक्र तुम्हारा आता है।
तुमसे ज्यादा इस दुनिया में,
मुझको कुछ भी नहीं प्यारा,
कोई हस्ती ग़ज़ल सुनाता हूँ,
जब जिक्र तुम्हारा आता है।