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Deepa Vankudre

Abstract

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Deepa Vankudre

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कुछ शेर अर्ज है......

कुछ शेर अर्ज है......

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उम्र का तकाजा था,

हाल-ए-यहाँ किया नही जाता, 

उम्र की उम्र हो चली,

पयाम अब भी बाकी है।


हर नजर को झेलें ये मुनासिब नही, 

पैमाने तो हर कोई छलकाता है,

मैखाना हो न हो, 

दर्द का जाम भरे वो साकी है ! 


जलने वालों को पूछो क्या बीती थी, 

रात नहीं, काली नागिन थी, 

हर बूँद आँसू की सिसक सिसक कर काटी, 

तब कहीं मौत ने पनाह दी थी ! 


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