कुछ शेर अर्ज है......
कुछ शेर अर्ज है......
उम्र का तकाजा था,
हाल-ए-यहाँ किया नही जाता,
उम्र की उम्र हो चली,
पयाम अब भी बाकी है।
हर नजर को झेलें ये मुनासिब नही,
पैमाने तो हर कोई छलकाता है,
मैखाना हो न हो,
दर्द का जाम भरे वो साकी है !
जलने वालों को पूछो क्या बीती थी,
रात नहीं, काली नागिन थी,
हर बूँद आँसू की सिसक सिसक कर काटी,
तब कहीं मौत ने पनाह दी थी !
