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Mayank Kumar

Abstract

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Mayank Kumar

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कुछ पन्ने खाली ही अच्छे हैं

कुछ पन्ने खाली ही अच्छे हैं

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कुछ पन्ने खाली ही अच्छे हैं

जिनमें उस कलम की,

नोक नहीं चली...

जो शायद भर सकता था,

कई मन पर एक शून्यता

जो बोलता रहता हैं बेवक्त,

किसी लड़खड़ाते बच्चे की तरह

जो मानो सीखा हो अभी-अभी,

टूटी फूटी शब्दों को समेटना

और उन शब्दों के सहारे,

चुपके से हवाओं के झरोखे सा

बेचैनी से हर वक्त कुछ कहना !



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