कुछ लकीरें
कुछ लकीरें
कुछ लकीरें कागज़ पर
कहानियाँ बन जाती है
कलम में वह ताकत है
जो झूठ को भी सच बना देती है।
कागज़ की लकीरें कभी
किसी के दिल से निकली
आवाज़ होती है या
किसी के गम को
दूर करने की दवा
यह लकीरें बिना कहे
बहुत कुछ कह जाती है
यह लकीरें कभी किसी को
किसी की याद दिलती है
या किसी को दुःख दे जाती है
यह लकीरें कगज़ पर किसी की
जायदाद छीन लेती है
तो किसी की किसमत बदल देती है
यह लकीरें कगज़ पर बिना कहे
बहुत कुछ कह जाती है
यह लकीरें कगज़ पर
दो दिलों को जोड़ती है तो
कभी किसी का दिल तोड़ती है
यह लकीरें आवाज़ बन
सच के लिए लड़ जाती है
यह लकीरें बिना कहे
बहुत कुछ कह जाती है
यह लकीरें देश की
आवाज़ बन न्यूज़ बन जाती है
यह लकीरें न देशी है न परदेशी
यह लकीरें कहने को तो अपनी है
मगर जल्दी पराई हो जाती है
यह लकीरें कागज़ पर बस
बिना कहे बहुत कुछ कह जाती है।