कुछ ज़ख्म दिल के ऐसे भी हैं।
कुछ ज़ख्म दिल के ऐसे भी हैं।
तुम क्या करोगी हमें भुला देने के बाद।
परछाई तो रहेगी मेरे याद की, तेरे साथ।
तुम्हें कोई साथी नहीं मिलेगा, मेरे चले जाने के बाद।
सिर्फ़ मैं ही काम आएंगे, तब तुम भी करोगी हमें याद।
आज तो चली जाओगी, किसी के होकर।
कुछ तो रहेंगी वो धुंधली सी तस्वीर, मेरे याद में उमड़ कर।
बाद में पछतावा क्या होगा, इसी तरह।
जो हमसे कर बैठी गलती, इश्क में बेवजह।
मिले या न मिले तुम्हें कोई ग़म, हमें क्या?
पर, तुमने जो दिया हैं मुझे बेकसूर गम, और बाकी है क्या?
ये बेईमान दिल था, जो तुम्हारे ओर हाथ बढ़ाया।
अब क्या लौट कर आएगा, जो हमें प्यार में बहकाया।
तुम्हें तो मिल सकते हैं आशिक़, इश्क़ के बाज़ार में।
पल- पल तो रोएंगे हम, आंखों से आंसू ओझल कर के।
तड़पोगी तुम भी तो, हर जगह जाकर।
जो दिया हैं दर्द हमें बेवफ़ा बनकर, कैसे करूं कुछ करके।
हां! याद याद आएगी तेरी वो बाते जब कभी।
थोड़ा रो लूंगा तेरी तस्वीर देखकर।
थोड़ा ठंडक होगा नैनीताल जैसा मेरे दिल में।
पर कभी नहीं मोहब्बत करूंगा, किसी लड़की से अपना समझ कर।
