॥ कुछ गौर करते हैं लोग आजकल शोर करते हैं ॥
॥ कुछ गौर करते हैं लोग आजकल शोर करते हैं ॥
जवानी मैं सबको रिश्ते आते हैं
कुछ खुद छठ जाते हैं कुछ को हम छठवाते हैं
ये कैसा दौर हैं उम्र का जहा साथ चलने के लिए साथी ढूंढे जाते हैं
हैं कुछ अमीर यहां कुछ बेचारे फ़कीर भी हैं
कुछ को चाहिए मोटर कार यहां कुछ की फूटी तक़दीर भी हैं
अमीरो को ऐबो के साथ अपनाते हैं गरीब सूफी भी बैठे पछताते हैं
काश के ऐसा दिन निकले के लालच के पुतले जल निकले
काश की इक्क ऐसी रात आये जहां चाँद की रोशणी भी उनसे चुरा ली जाए
काश के इक्क आंधी आये जो इन ठेकेदारों को बहा कही दूर ले जाये
काश के ऐसी वर्षा हो लालच के पुजारियों की आँखों से आसु छलका हो
काश के उनको कबि ये समझ आ पाए की संसार मैं सब इक्क जैसे कब हो पाए
काश के एक घड़ी ऐसी आये उनका अल्लाह हमारी चौखट खड़काये।