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ankit sarna

Abstract

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ankit sarna

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मौजूदगी उसकी..

मौजूदगी उसकी..

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मेरी मौजूदगी से महफिले जिसने सजाई है 

आज नज़रो से मेरी नज़रे उसने चुराई है

दिल ने कहा अरसे बाद जो तूने अपनी शकल दिखाई है

हो सकता हैं शायद पहचान न तुझे पाई है

ये सोच कर मैंने जब बात उन तक अपनी पहुंचाई है

जवाब सुनकर उसका, आँख भर मेरी आई है

लिखती है कि बीते वक़्त मेरी यादें उसको बहुत आई हैं

रुस्वा है हमसे और किसी से सगाई करवाई है

अपनी बातों से उसने दिल पर ठेस पहुंचाई है

इस लिए हमने अमेज़न से ज़हर की शीशी आर्डर करवाई हैं||


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