कुछ बाकी है
कुछ बाकी है
जुल्मी का एहसान बाकी है
वफाओं में पहचान बाकी है।
धुंधली हो चुकी सब यादें
दिल में निशान बाकी है।
बाहर से दिखता आदमी
अंदर तो शैतान बाकी है।
एक मुखौटा लगा लिया
चेहरे पे मुस्कान बाकी है।
कमजोर दिखने दो मुझे
मुझमें पहलवान बाकी है।
खौफ के तो आदी हो गए
दिल तो परेशान बाकी है।
'सिंधवाल' सजदा कर ले
तुझमें भगवान बाकी है।
