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Phool Singh

Inspirational Thriller Children

4  

Phool Singh

Inspirational Thriller Children

कुछ अनकहे किस्से

कुछ अनकहे किस्से

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गीले-शिकवे हजार हो लेकिन, न अलग होने की बात करो

कदर न होती पत्तों की कहीं, न परिवार को खुद से दूर करो।


एक-एक डाली टूट जाती पर, गट्ठर कभी न तोड़ सको

पाँच उँगलियों से बनती मुट्ठी, संगठित अपना परिवार करो।


मात-पिता और दादा दादी, बच्चो संग खूब मौज करो 

एक-दूजे संग प्रेम भाव से, परिवार की नीव मजबूत करो।  


शिक्षित हो परिवार के सदस्य, इस बात का खास ध्यान करो

शिक्षा की लड़ी छूटे कभी न, चाहे खाने का निवाला कम करो।


मार-पीट और लड़, झगड़ लो पर, क्रोध को अपने शांत करो

कभी न जागे अहं परिवार में, वचन खुद से हर पल, हर बार करो।


परीक्षा लेता ईश्वर भी खूब है, पर संस्कारी खूब अच्छे बनो

सरल मार्ग पर सभी है बढ़ते, जिंदगी में कुछ नया करो।


एकल रहना अच्छी बात है, आत्मज्ञान में सहायक हो

अपनों के बिना ये जिंदगी अधूरी, कभी अपनों को न दूर करो।


गौरव बढ़ेगा, मान बढ़ेगा, शेहरा धन-वैभव का शीश धरो

जनता गाएँगी गौरव गाथा, परिवार के संग जो आगे बढ़ो।


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