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DR. RICHA SHARMA

Abstract

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DR. RICHA SHARMA

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कठपुतलियां

कठपुतलियां

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कठपुतलियां सदियों से ही लगती आई सभी को प्यारी

कोई राजकुमार बना तो कोई कठपुतली बनी राजकुमारी


कठपुतलियों का सदियों पुराना खेल

आपस में सिखाता था करना मेल


काष्ठ से बनी कठपुतलियों ने ले लिए अनेक रूप

कोई महारानी-दासियाँ बनने लगी तो कोई बने भूप


सभी की भावनाओं, सोच-विचार संग कठपुतलियों के प्रकार

रंगमंच पर विभिन्न कठपुतलियां बनने लगी सर्वश्रेष्ठ आधार


भारतीय संस्कृति को जीवित कर देने वाली कठपुतलियां

सदा सारे विश्व में रहें सलामत यही है मेरी छोटी-सी दुआ


कठपुतलियों का आकर्षक खेल सभी के मन को भाता है

आजीविका कमाने वाला हम तक सुंदर संदेश पहुंचाता है


कठपुतलियों के माध्यम से कर लेता है मनुष्य अपनी हर बात

खेल दिखाते हुए निर्धन खोल कर रख देता है अपने जज़्बात


वर्तमान को देखते हुए कठपुतलियों ने भी बदले अपने रंग

कठपुतलियों के कारण ही तो दिखने लगा सामाजिक ढंग।


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