कठोर फ़ैसला
कठोर फ़ैसला
ज़िन्दगी की अज़ीब कश्मकश थी ,
जब ये निर्णय भी ज़रूरी था ।
बंधना था विवाह के पवित्र बंधन में ..
और प्यार भी ज़रूरी था ।।
दिल को तड़पता छोड़ ..
मैंने ये रिश्ता अपनाया ।
अपनों की खुशियों की ख़ातिर ..
मैंने खुद को एक कठोर फ़ैसला सुनाया ।।
