क्षणिकाएं
क्षणिकाएं
अपने स्वार्थ के लिए मैंने
कई रिश्ते घड़े
कई पाले
कई नकारे
कई स्वीकारे
क्या पता था
वह सब मेरे से भी
अधिक स्वार्थी थे।
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दीया, तेल, बाती और माचिस इनके संगम से
अंधकार होता है रोशन
सेवा सत्संग साधना और
दिव्य कृपा से
होता है पवित्र मानव मन।