STORYMIRROR

Bhawana Raizada

Abstract

4  

Bhawana Raizada

Abstract

कश्मकश

कश्मकश

1 min
358

दिल की बातों में कश्मकश तो होती ही है,

कभी हां कभी न की उलझन तो होती ही है।


दिल की दीवारों पर कुछ दस्तक सी होती है।

हर आहट पर धड़कन और तेज़ सी होती है।


उसकी रूह की खुशबू जब ज़हन में उतरती है।

सारी दुनिया मुझे महकती हुई सी लगती है।


बातों की नज़ाकत एक कहानी सी लगती है।

मेरा नाम जब आता है वो अपनी सी लगती है।


सोच में डूबा हूं जाने कैसे दिल की बात होती है।

सपनों में ही सही रोज़ मुलाकात तो होती है।


दिल की बातों में कश्मकश तो होती ही है,

कभी हां कभी न की उलझन तो होती ही है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract