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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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करुण पुकार।

करुण पुकार।

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मैं तो प्रभु निशदिन तुमको ही धयाऊँ, करता करुण पुकार रे।

प्रेम -भाव को उर में जगाओ, भक्ति रस को सुधार रे।

ज्ञान- विवेक का दे दो खजाना, मिट जाए पूर्ण अंधकार रे।।


योग-साधना का लेप लगाऊँ, पुष्प चढ़ाऊँ बारंबार रे।

मधुर भजन तुमको मैं सुनाऊँ, करता रहूँ तुम से प्यार रे।।


परम गुरु को पाकर जाना, तुम ही राम मिलावन हार रे।

 टूटी-फूटी नया है मेरी, भीषण भव नद धार रे।।


सत्संग वाटिका के तुम हो मालिक, कर दो बेड़ा पार रे।

" नीरज" मगन बन नाचै अब तो, लाज शरम गया हार रे।।


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