कर्तव्य
कर्तव्य
समाज सुधारने का कर्तव्य
हर इन्सान का है
बच्चों को अनुशासन से पालन करना
सिर्फ माँ की हाथ में नहीं
ये सारी समाज के हाथों में है
आधुनिक व्यवस्था मे हर अभिभावक
अपने बच्चोॆं के लिए सर्वस्व त्यागकर
पालन पोषन करते हैं
लेकिन अपनी बातें सुनने वाले बच्चे कहाँ है
पहले दिनों मे बच्चों को अपने माता पिता गुरू को
सम्मान किया था और प्सेयार मिलकर डर भी रहा
लेकिन अब सारी बात उल्टी हो गई
बच्चों को देखकर अभिभावको और गुरूजनों ही डरते हैं।
माँ बेटी को डाँटी है तो आत्महत्या करती है
या बाप बेटे को डाँटा है तो घर से बाहर निकलता है
कहाँ जाता है, समाज किस और हम जाते हैं
इस समाज को सुधारने का कर्तव्य हर व्यक्ति के
हाथ में है, हाँ ये तो हमारा कर्तव्य है।
