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Mani Aggarwal

Inspirational

5.0  

Mani Aggarwal

Inspirational

कर्तव्य

कर्तव्य

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अबला का चोला त्याग के अब, 

ले हाथ खड़ग चलना होगा। 

नारी तुमको निज रक्षा को, 

आगे खुद ही बढ़ना होगा। 


ना बाँट निहारो आएगा, 

कोई कान्हा तब रक्षा को। 

अपने सम्मान की रक्षा को, 

रानी झाँसी बनना होगा। 


सम्मान जहाँ पर मिलता हो, 

वहां प्रेम सुधा बरसाओ तुम।

सुन्दर सुगंध बन फूलों सी, 

घर अंगना को महकाओ तुम। 


पर जिस घर में लालच की, 

वेदी तुम्हें चढ़ाया जाता हो।

जहाँ प्रेम नहीं बस धन-दौलत, 

की बलि चढ़ाया जाता ह

ो। 


वहाँ मौन न सहना जुल्मों को, 

न छुप-छुप के नीर बहाना तुम। 

निज स्वाभिमान रक्षा हेतु,

बन सिंहनी कदम उठाना तुम।


तुम कोमल काया कंचन सी, 

तप कर कठोर बनना होगा। 

जो मान हरण को हाथ उठे,

उन हाथों को कटना होगा। 


तुम ही जननी तुम पालक भी, 

तुम ही शिक्षक हो बालक की। 

ये धरा ना नीर बहाये यों, 

एक कार्य ये भी करना होगा।


जब पुत्र जनो तो ध्यान रहे, 

ये फर्ज़ निभाना निष्ठा से। 

संस्कार जो पाएगा अच्छे, 

नारी सम्मान तभी होगा l



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