ओ कान्हा , तेरी मुरली बजे
ओ कान्हा , तेरी मुरली बजे
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ओ कान्हा तेरी मुरली बजे
सुध खो जाती है।
भूल जाते हैं दिल की दुखन
जब मुरली बज जाती है।
तेरी याद आए तो दिखता
नटखट रूप सलोना,
ख़ुशियों में कोना कोना,
यादें तेरी..
चंचल मन कर जाती है
ओ कान्हा तेरी मुरली बजे,
सुध खो जाती है।
तुझ से सीखा है, गीता का ज्ञान
ना हो अभिमान,
झुकना सीखा जाती है।
ओ कान्हा तेरी मुरली बजे,
सुध खो जाती है।
तू नटखट माखन चोर,
रास रचाए चारों ओर
तेरी बातें लुभा जाती है।
ओ कान्हा तेरी मुरली
बजे सुध खो जाती है
मथुरा, वृंदावन की
गलियों में, तू घूमे
सारे, गोविन्द -गोपाला
गा कर सब झूमें।
गोपियों का साथी है,
मीरा का है गिरधर ,
राधा तेरी प्रेम दीवानी ,
रूक्मणी का प्रियवर
तेरे बिना नहीं रह पाती है
ओ कान्हा तेरी मुरली
बजे सुध खो जाती है....