कृष्ण
कृष्ण
ये कृष्ण है ये मग्न है
ये साथ मेरे संलग्न है।
सत्य को दिखा देता
ये करता प्रसन्न है।
प्रकृति को पूजे जो
प्रकृति जिसको पूजे।
एकत्व है आत्मा से
हम नहीं कोई दूजे।
ये सब बताने वाला
सिर्फ-सिर्फ कृष्ण है।
ये कृष्ण है...
कर्म का संदेश दे,
जीत के जो पथ खोले।
क्षमता सहने की थी,
संगीत से गौ को दुह ले।
रास में नर्तक है और
शिव सा निमग्न है।
ये कृष्ण है...
क्या होती है मित्रता
कृष्ण ही ने सिखलाया।
घर-घर माखन खा के जिसने
एक कुटुम्ब है बतलाया।
मुस्कान श्रंगार है जिसकी
सम्पति गौधन है।
ये कृष्ण है...
कर के रक्षा द्रौपदी की
ये मानता बंधन है।
योगेश्वर अपनाया उनको
हुआ जिनका हरण है।
स्थापना करने धर्म की
वो आता भगवन है।
उसको नमन है - उसको नमन है।