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कर्म-योगि

कर्म-योगि

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नवरात्रि और शुभ दीपावली आई है

कर्म-योगियों की मेहनत रंग लाई है


कुम्हार ने-

गीली मिट्टी से दीया बनाया,


किसान ने-

नंगे पाँव सर्दी-गर्मी की फ़िक्र छोड़

कपास उगा कर दीये की बाती दी


ग्वालिन ने

गाय के दूध से घी बनाया

जो मैंने, आपने और सबने

अपने-अपने घर में, दीये में डालकर

उस बाती को जलाया


और फिर उसके लौ-प्रकाश में

परमात्मा के दरबार में

माँगा अपने लिए एक

नए दान का वरदान भी


पर भूल गए करना धन्यवाद उनका

जिनके श्रम से था

बना वो दीपक


जिससे करी

हमने अराधना ईश्वर की


परमात्मा- है यह प्रार्थना

इस पावन नवरात्रि और

शुभ दीपावली उत्सव पर


सबको सुख शांति का

आशीर्वाद दो अपना…


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