कोरोना
कोरोना
शहर ने आज कितनी तरक्की कर ली
रोटियां बंटी, हजारों ने धक्कामुक्की कर ली
तरक्की -मतलब ट्रेनें कारें मेट्रो और रफ्तार
मगर वह सब ठप पड़ी, हंस रही है उस पर
देख तू मुझसे गांव तक नहीं जा सकता
तरक्की की बड़ी बड़ी इमारतें हंस रही है उस पर
देख तू मुझमें अपना दुख नहीं छिपा सकता
पांच सितारा होटल हंस रहा हैं उस पर
देख तू मुझसे अपनी भूख नहीं मिटा सकता
सुखी आंखो से टपके आंसुओ की बूंदे मोटी
तरक्की बांटता शहर, उसे नहीं बांटना रोटी
किसी की बीमारी ने तो कुछ मर गए भूख से
कुछ मर गए डर से कि मर ना जाए भूख से
जो की नहीं बीमारी, किया भूख ने वो दुर्दशा
शहर देखता रहा तमाशा, गरीब पैदल चलता चल बसा।