मां
मां
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कुछ भी लिखना मां तुझ पर मुश्किल हुआ
मैं अब तक कहां इतना काबिल हुआ
नौ महीने कोख में फिर रखा सीने में मुझे
तारीफ वालों सुनो मैं कैसे नरमदिल हुआ
तेरे पहले दूध ने बक्शी मुझे जिंदगी
मां तेरे डांट से ही मैं फाजिल हुआ
मैं हमेशा रहा तारा आखों का तेरे
सितारे से जहां में झिलमिल हुआ
खयाल रखती है मेरा तू ख्यालों में भी
आंसू ऐसे मेरा हसीं में है तब्दील हुआ
सुबह की चाय से रात के दूध तक
मेरा रखना खयाल तेरा मंजिल हुआ
जरूरत भर मेहनत मैने की ही नहीं
जो मिला तेरे दुआओं से हासिल हुआ।