STORYMIRROR

Sumit Mandhana

Abstract Tragedy

4.5  

Sumit Mandhana

Abstract Tragedy

कोरोना वरदान या अभिशाप?

कोरोना वरदान या अभिशाप?

1 min
452


क्या बोलूं कोरोना के बारे में

आखिर कहां से आया है ?

पल भर में इसने तो

सब का नशा छुड़ाया हैं। 

 

रोज हो रही थी विश्व में

दुराचार दुष्कर्म की घटना,

प्रकृति ने खुद आकर

बहू बेटियों को बचाया है।


आत्महत्या से कर रहे थे

अपने जीवन का अंत,

कोरोना ने उनको भी

धैर्य से रहना सिखाया है।


कुछ निर्दयी डॉक्टर

बन गए थे कसाई।

उन्हें भी चुपचाप

घर पर बिठाया है।


पुलिस वालों की हरदम

होती थी हंसाई,

नका भी अब देश ने

मान बढ़ाया हैं।


सफाई विभाग वालों को

देखते थे ओछी नजर से,

समाज में उनको भी

ऊंचा दर्जा दिलाया है।


जो पुरुष नहीं कर रहे थे

नारी वर्ग को सहाय,

उन्हे भी घर काम में

हाथ बंटाना सिखाया है।


जिन घरों में काम

करते थे नौकर चाकर,

उन सेलिब्रिटीओं ने भी

घर में पोछा लगाया है।


अंत में मुझे तो 

ये समझ में आया है,

इस कोरोना ने सब को

कम में जीना सिखाया है।

कम में जीना सिखाया है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract