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Kiran Kumari

Abstract

4.5  

Kiran Kumari

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कोरोना से डरो ना

कोरोना से डरो ना

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थे हंसी - खुशी दुनिया में सब

आतप से नहीं डरते थे,

बूढ़े - बच्चे नर और नारी

स्वछंद कार्य करते थे।


मचा विश्व में हाहाकार

जब से कोरोना आया,

त्राहिमाम कर रहे मनुज

हर जन को रोना आया।


वीरान हुई सारी दुनिया

कोई न निकलता घर से,

कैसा प्रलय आया जग में

भय आतुर सब अपनों से।


करबद्ध प्रार्थना है प्रभु से

हो स्वास्थ लाभ उन वीरों को ,

निः स्वार्थ भाव से जुटे हुए

सेवा करते बीमारों को।


वैश्विक संकट की घड़ी में हम

दुखियों को न अपमान करें,

सच्चे सप्रेम का भाव लिए

एक - दूजे का सम्मान करें।


अनुसरण करें हर नियमों का

और स्वच्छ रखे हर क्षण तन को,

हम जीतेंगे और जिताएंगे

कोरोना को मार भगाएंगे।


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