कोरोना को हराना है
कोरोना को हराना है
घर के अन्दर रखकर खुद को,
कोरोना से बचा लिया है।
पृथक जमाने से रहने की,
कुंजी जब से पाई लोगों ।
खुशहाली चलकर के खुद ही,
अपने घर में आई लोगों
बाहर जाना जब से छोड़ा,
घर को जन्नत बना लिया है ।
घर के अंदर रखकर खुदको,
कोरोना से बचा लिया है ।
धोते रहे हाथ मल मल कर,
हाथ जोड़ अभिवादन सीखा।
भूल गए गुड और बेड टच ,
बस खुद का आराधन सीखा ।
दूरी पर रहकर चर्चाएं ,
करते हैं,मन मना लिया है।।
घर के अंदर रखकर खुदको ,
कोरोना से बचा लिया है ।।
रिश्तेदारी मन से पाली ,
लोग कहेंगे क्या ,डर छोड़ा।
फैला दे कब कौन संक्रमण,
कौन मार दे आकर कोड़ा ।।
इसीलिए रख बीच फासला,
खुद को जीना सिखा लिया है ।
घर के अंदर रखकर खुदको ,
कोरोना से बचा लिया है ।।
सुबह शाम काढ़ा पीते हैं .
प्याज काटकर के खाते हैं ।
शक्ति बढ़ाते तन की अपने,
लहसन रोज चबा जाते हैं।।
ताकत ने तन के तख्ते पर ,
अपना आसन जमा लिया है।
घर के अंदर रखकर खुद को,
कोरोना से बचा लिया है।
बचे रहें अफवाहों से हम,
रहबर को सच्चा माना है।
पानी गरम लिया है हमने ,
और वक्त को पहचाना है
नहीं समय के साथ चले हम,
हर मुश्किल को पचा लिया है ।
घर के अंदर रखकर खुद को ,
कोरोना से बचा लिया है ।।
आंधी के हम आम नहीं बन ,
सकते जीवन बड़ा कीमती ।
वादा खुद से कर बैठे हैं,
वादे का धन बड़ा कीमती ।।
थी पहाड़ की मुसीबतें पर ,
हमने पर्वत उठा लिया है ।
घर के अंदर रखकर खुदको,
कोरोना से बचा लिया है ।।
लेने जब तक नहीं गए हम,
बिना बुलाए कब आया है ।
घर की देहरी के अंदर रह,
हमने इसे नहीं पाया है ।।
आने नहीं दिया है उसको ,
जिसने घर का पता लिया है।
घर के अंदर रखकर खुदको ,
कोरोना से बचा लिया है ।।
"अनंत" चिकने घड़े नहीं हम ,
अच्छा बुरा समझते सारा ।
अनुभव और अक्ल से हमने ,
पलपल सबको दिया सहारा ।।
भारी पत्थर के नीचे से ,
लोगों कर को हटा लिया है ।
घर के अंदर रखकर खुदको ,
कोरोना से बचा लिया है ।।