कोई उसे सुन पाए तो
कोई उसे सुन पाए तो
क्यों ठहरा है सागर
क्यों ठहरे हैं धारे।
कभी चलती है किश्तियाँ
कभी चलते हैं किनारे।
फिर से ये लहर कहाँ उठी है
कोई मुझको बताए तो
मैं आवाज़ तो दे दूँ
कोई उसे सुन पाए तो।
खामोशियों की जुबां से
जो तुमने की थी बातें
जाने मतलब क्या था उनका
कैसी थी वो मुलाकातें।
तुमने कहना क्या चाहा था
कोई मुझको समझाए तो
मैं आवाज़ तो दे दूँ
कोई उसे सुन पाए तो।।