कोई नहीं
कोई नहीं
कोई नहीं चाहता बेटा बने
भगत सिंह जैसा सरफरोश
बस शहीदों का जिक्र कर
लोग टटोलते अपना जोश
अपने पाल्यों में नजर आते
सबको अफसर के गुण धर्म
क्रांति, बदलाव को चाहते हैं
सभी पड़ोसी करें षटकर्म
स्वार्थ की चादर दिन ब दिन
पसर रही इत ऊत चहुंओर
बहुत तलाशने पर भी अब नहीं
मिलेंगे देशभक्तों को कहीं ठौर
इंतजार कीजिए देश का शायद
आगे बदले कभी मन या मिजाज
सच्चे अर्थों में लोग भरें शहीदों के
सपनों को पूरा करने को परवाज
देश के प्यार में पागल होकर कभी
जो न्यौछावर कर बैठे अपनी जान
आज उनके आदर्शो से ही वाकिफ
नहीं देश का अधिकांश नौजवान।