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Pandav Kumar

Inspirational

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Pandav Kumar

Inspirational

कोई मोल नहीं

कोई मोल नहीं

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ग़म के सागर में

डूब जाता जब अंतर्मन

तब सांसारिक सुखों का

कोई मोल नहीं ।


धोखा ही धोखा खाकर

जब सम्हाला हो मन

तब अनजाने का हाथ थामने का

कोई मोल नहीं ।


पुरानी दोस्ती को

जब षडयंत्रों से खोला जाए

तब साथ बिताए पलों का

कोई मोल नहीं ।


जब सामने तुम्हारे

किसी की निंदा की जाए

तब तुम्हारी प्रशंसा का

कोई मोल नहीं ।


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