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Lokanath Rath

Abstract

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Lokanath Rath

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कोई बताए.....

कोई बताए.....

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जब बैठकर कभी मैं सोचता हूँ,

कुछ सवालों का जवाब ढूंढता हूँ,

उलझनों में फसता ही रहता हूँ,

की कहाँ से कैसे फिर शुरू करूँ?

कभी ये मन को काबू करूँ,

या कुछ सोच को बिराम दूँ!

तब दिल के धड़कन मैं सुनता हूँ,

उसको रोकने का हिम्मत कैसे करूँ?

फिर सोचता हुँ आँखे बन्द करलूँ,

थोड़ी डेर में कुछ ना देखूँ,

फिर बढ़ती सांसे का क्या करूँ?

इसके वजहें फिर में कैसे ढूँढू?

फिर बन्द आँखो का क्या करूँ?

खोलू या फिर मैं ना खोलू?

या फिर ये मन को शांत करूँ?

या इस दिल को फिर बोलूं?

या उसके साथ ही छोड़ दूँ?

खामोशी से जिन्देगी को मैं पूछूँ?

ये चालाकी अब वो करें कियूँ?

हर बार कल दिखता है कियूँ?

और उम्र को घटता है कियूँ?

सोच के अब बड़ा बेचैन में हूँ,

करूँ तो अब में क्या करूँ?

किस किस से में सवाल करूँ?

और कहाँ कहाँ में जवाब ढूँढू?

कोई बताए, करूँ तो क्या करूँ???



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