कोहिनूर
कोहिनूर
कभी कोहिनूर भी हमारा था
कभी जन्नत भी हमारी थी।
अब आलम ये है की,
कोहिनूर को भी ख़ुद पे नाज़ हो गया।
अपनी क़ीमत का एहसास हो गया
जाते-जाते ये तक कह गया।
पहले इस क़ाबिल तो बनो
कि कोहिनूर तुम्हारा हो,
इसकी हिफ़ाज़त तुम्हारी हो,
फिर जन्नत भी तुम्हारी होगी।