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Abhishek Singh

Abstract

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Abhishek Singh

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कोहिनूर

कोहिनूर

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कभी कोहिनूर भी हमारा था

कभी जन्नत भी हमारी थी।


अब आलम ये है की,

कोहिनूर को भी ख़ुद पे नाज़ हो गया।


अपनी क़ीमत का एहसास हो गया

जाते-जाते ये तक कह गया।


पहले इस क़ाबिल तो बनो

कि कोहिनूर तुम्हारा हो,


इसकी हिफ़ाज़त तुम्हारी हो,

फिर जन्नत भी तुम्हारी होगी।


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