कमजोर को मजबूत बनायें
कमजोर को मजबूत बनायें
हर व्यक्ति चाहता है कि
वह हर तरह से
जब तक उसकी जिंदगी है
मजबूत बना रहे लेकिन
सोचने से क्या होता है
हर किसी की किस्मत की रेखा
सीधी तो नहीं होती
उसके जीवन की राह के
किसी मोड़ पर
कोई दुखद बिंदु तो ऐसा भी होता है
जहां उस पर
प्रहार होता है
यह आंतरिक भी हो सकता है और
बाह्य भी
घर की चारदीवारी में और
खुले मैदान या
चलती हुई सड़क पर भी
इस तरह के आक्रमण
किसी की मजबूत नींव को
हिला सकते हैं
उसे कमजोर कर सकते हैं
उसकी कई मंजिल की
इमारत को
एक झटके में
गिराकर
उसे धराशायी कर
उसे खंडहर में तबदील कर
उसे मिट्टी में मिला
सकते हैं
उतार चढ़ाव तो जीवन
का एक अभिन्न अंग है
हर समस्या का हल है
गर
समय रहते उसे पहचानकर
उसे ध्यानपूर्वक
हल करके
उसे सही दिशा प्रदान कर दी
जाये
खुद की भी यथासंभव मदद करना
सीखें
उस व्यक्ति विशेष से
जुड़े लोग भी
मदद के लिए अपने हाथ
आगे बढ़ायें
लोगों को जागरूक
बनाने के लिए
अभियान चलाये जायें
उन्हें संवेदनशील बनाया
जाये
वह स्वयं भी खुद में
मानवीय गुणों को
विकसित करें
सामाजिक कार्यकर्ता
और संगठन
इस मुहिम से जुड़े
लोगों को यथासंभव
सहायता प्रदान करें
उनका आत्मविश्वास बढ़ायें
उनमें आत्मबल संचालित करें
उन्हें आत्मनिर्भर बनायें
उन्हें खाने को भोजन,
रहने को आवास और
पहनने को
उचित वस्त्र आदि प्रदान
किये जायें
दवा के साथ दुआ भी
की जाये
दूसरे क्या कर रहे
क्या नहीं
इस पर से ध्यान
हटाकर
यथासंभव जिससे
जितना बन पड़े उतनी
दूसरों की सेवा की जाये।