कल्पना
कल्पना
करता मानव कल्पना
इस वस्तु को
वह बना
नुस्खा वह आज़माएगा
जिससे जहाँ
मुस्कुुुराएगा
आज वह
दिन आया है
मानव काल्पनिक
बन पाया है
माया उसकी
अबोध है
करता हर क्षण
शोध है।
उसका नाम
निर्माण है
हर समय
परिणाम है
सोच यह भी
हो जाएगा
मानव आशा
पाएगा
और संसार
विद्यमान हो
जाएगा॥
